कलयुग में भागवत की कथा सुनने से हर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति-शैलेन्द्र महराज
रीवा रायपुर कार्चुलियान पड़रिया परौहान टोला में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिबस कथा वाचक शैलेंद्र महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत के रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि राम जन्म एवं कृष्ण जन्म की कथा सुनाया। कहा कि कलयुग में भागवत की कथा सुनने मात्र से हर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी जन्मों के पापों का नाश होता है। राम जन्म एवं कृष्ण जन्म व बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। यह भी बताया कि 84 लाख की योनियों में भटकने के पश्चात मानव शरीर की प्राप्ति होती है। जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब तक प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब रावण का अत्याचार बढ़ा तब राम का जन्म हुआ । जब कंस ने सारी मर्यादाऐं तोड़ी तो प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ। कथावाचक ने कहा कि भागवत कथा एक ऐसी कथा है जिसे ग्रहण करने मात्र से ही मन को शांति मिलती है। भागवत कथा सुनने से अहंकार का नाश होता है। उन्होंने कहा कि कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। महराज ने भागवत कथा में चौथे दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव वर्णन किया। जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। यह सीख में भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी धन कमाने में लगी हुई है लेकिन अपनी कुल धर्म और मर्यादा का पालन बहुत कम कर रहे हैं।
आचार्य श्री ने संतो के संबंध में कहा है कि संत का परिचय संत का भेष नहीं होता है। उनका तो मुख्य भेष उनका गुण होता है। आज के समय में कई बहुरूपिया संत भी चोला धारण कर विचरण कर रहे हैं। लेकिन महराज ने संत के 6 गुण बताएं। जिसमें उन्होंने कहा कि संत में सहनशीलता, करुणा, सबको अपना मानना, किसी से शत्रुता ना रखना, निष्कामता एवं परोपकारी होना ही संत की असली पहचान है।महराज ने कहा जब भी आप किसी संत या महात्मा से मिले तो इन 6 गुणों के माध्यम से उसकी पहचान कर सकते हैं। संत की पहचान होना आवश्यक है क्योंकि वही तो आपका मार्गदर्शन करते है। महराज ने कहा कि कई बार कहा जाता है कि " पानी पियो छान के, गुरु करो जांच के" क्योंकि सच्चा गुरु ही आपको सदमार्ग और ईश्वर से प्रेम करना सिखा सकता है। श्रीमद् भागवत कथा में लिखें मंत्र और श्लोक केवल भगवान की आराधना और उनके चरित्र का वर्णन ही नहीं है। श्रीमद्भागवत की कथा में वह सारे तत्व हैं जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ में अपने से जुड़े हुए लोगों का भी कल्याण होता है। जीवन में व्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए। इससे जीव का कल्याण ही होता है। भागवत कथा के आयोजन से श्रद्धालुओं में खुशी का माहौल है। मुख्य यजमान- दीनदयाल द्विवेदी,शुशीला, कृष्ण द्विवेदी, रोशनी, मधुसूदन,सत्यभामा, सत्रुधन, रमा, अनिल द्विवेदी, शंकर, संगीता, संकर्सन, ज्योति, अर्चना, मीना,शोभा, आभा, धैर्य,आदिरा, अंबुज, आकांक्षा,श्रीधर, नेहा, आदित अमित, वैशाली, प्रिंस, जानकी, गोविंद,मान्या,अजीत, आर्या, आरुष। इस कथा का लाइव प्रसारण सोशल मीडिया पर भी किया जा रहा है। कथा स्थल में यजमानों सहित कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करवाई। समस्त भक्त जनों की उपस्थिति रही।