7 फेरे लेने के बाद परीक्षा देने पहुंची दुल्हन करता रहा दुल्हा विदाई का इंतजार
सात फेरों के सात वचनों के बंधन में बंधने के बाद एक नव विवाहित जोड़े ने उन वादों को निभाने की शुरुआत शादी के मंडप से ही की। फेरे हुए, शादी की रस्में पूरी हुईं लेकिन विदाई के लिए दूल्हे और बारात को 5 घंटे से अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। दुल्हन का पेपर था और दूल्हा चाहता था कि उसकी पत्नी की इच्छा पूरी हो, वह खुश रहे इसलिए उसने परीक्षा की प्रतीक्षा करने पर सहमति जताई। सतना की विराट नगर कॉलोनी में रहने वाले ग्राम छींदा निवासी सत्यनारायण और रानी देवी पयासी के बेटे अभिषेक की शादी मारुति नगर निवासी शिवानी के साथ 10 मई को हुई। मारुति नगर स्थित एक मैरिज गार्डन में बुधवार की रात शादी की रस्में शुरू हुईं। गुरुवार को सुबह 7 बजे विवाह विधि सम्पन्न होने के बाद भी बारात दोपहर डेढ़ बजे तक विदा नही हो पाई। दरअसल, शिवानी शादी की रस्में पूरी होने के फौरन बाद साढ़े 7 बजे ही मंडप से रवाना हो गई थी। उसने एमपी ट्रेड वर्ग 2 की परीक्षा के लिए फॉर्म भरा था। गुरुवार 11 मई को आदित्य इंजीनियरिंग कॉलेज परीक्षा केंद्र में सुबह 8 बजे से उसका पेपर था। उसने फेरे लिए, रस्में निभाईं और सीधे परीक्षा देने जा पहुंची। दोपहर लगभग साढ़े 12 बजे वह परीक्षा देकर लौटी तो विदाई की तैयारियां शुरू हुईं। बारात के साथ बैठा दूल्हा तब तक अपनी दुल्हन की प्रतीक्षा करता रहा। दुल्हन शिवानी ने बताया कि शादी तय होने के बाद जब परीक्षा की डेट आई तो पहले तो लगा कि वह परीक्षा नहीं दे पाएगी लेकिन फिर उसने अभिषेक और अपनी सास से बात की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उसकी परीक्षा मिस नहीं होगी। शादी की रस्में जल्दी पूरी करा कर उसे परीक्षा देने भेजा जाएगा। शिवानी ने कहा कि उसे खुशी है कि उसे सपोर्ट करने वाला ससुराल मिला है। सफलता मिलना न मिलना बाद की बात है लेकिन वह परीक्षा में शामिल होने का यह अवसर गंवाना नहीं चाहती थी। पति और सास ने मेरी खुशी और भावनाओं का ख्याल रखा।
दूल्हे अभिषेक ने कहा कि ऐसे अवसर बार बार नहीं मिलते इसलिए उन्हें लगा कि शिवानी को परीक्षा में शामिल कराना चाहिए। इसलिए हम सब ने इस पर सहमति दी कि पहले परीक्षा और बाद में विदाई होगी। अभिषेक के बड़े भाई पवन पयासी ने बताया कि जब शिवानी के एमपी ट्रेड वर्ग 2 के 11 मई को होने वाले पेपर की जानकारी मिली तब तक निमंत्रण पत्र बांटे जा चुके थे, शादी की तारीख आगे बढ़ाया जा पाना संभव नहीं था। इसलिए ये तय किया गया कि बारात समय से पहुंच जाए और शादी की रस्में समय से शुरू कर पूरी कर ली जाएं ताकि टाइम मैनेज किया जा सके। इसमें घरातियों- बारातियों सभी ने सहयोग भी किया। सुबह 7 बजे तक रस्में पूरी कर ली गई थीं और शिवानी को परीक्षा सेंटर में उसके रिपोर्टिंग टाइम 8 बजे के पहले पहुंचा भी दिया गया था।