कलेक्टर के आदेश के बावजूद गलत जगह संचालित हो रही शराब दुकान
तना में कलेक्टर के आदेश और लास्ट वॉर्निंग पर शराब ठेकेदार की मनमानी भारी पड़ रही है। नियमों को ताक पर रखकर गलत लोकेशन पर खोली गई शराब दुकान को शिफ्ट करने के लिए 3 दिन की मोहलत दी गई थी। लेकिन 3 हफ्ते बीत जाने के बाद कलेक्टर के नोटिस का पालन नहीं किया गया। इसके लिए महिलाएं और जनता यहां जबरदस्त आंदोलन कर चुकी हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सतना जिले की कोटर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत देवरा क्रमांक 1 के टिकुरी बस स्टैंड में अवैध रूप से खोल दी गई। शराब दुकान को 3 दिनों में शिफ्ट करने के लिए कलेक्टर सतना अनुराग वर्मा ने 18 अप्रैल को लास्ट वार्निंग नोटिस दिया था। लेकिन 3 हफ्ते बाद भी टिकुरी से शराब दुकान नही हटाई नहीं गई। न तो आबकारी विभाग ने कलेक्टर की लास्ट वार्निंग नोटिस पर अमल करना-कराना मुनासिब समझा और न ही ठेकेदार ने कलेक्टर के नोटिस को तवज्जो दी। आलम यह है कि दुकान अभी भी डंके की चोट पर टिकुरी में ही चल रही है। ठेकेदार तथा उसके गुर्गे प्रशासन एवं जनता को ठेंगा दिखा रहे हैं।दरअसल,शराब ठेकेदार फर्म महामाया बिल्डर्स एंड डेवलपर्स को ग्राम गोलहटा में शराब दुकान संचालित करने के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। लेकिन उसने यह दुकान गोलहटा से कई किमी दूर सतना सेमरिया रोड के टिकुरी बस स्टैंड में खोल दी। टिकुरी में शराब दुकान खोलने के विरोध में महिलाओं समेत जनता सड़क पर उतर आई। लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन कर सतना सेमरिया मार्ग जाम कर दिया था।
आबकारी अमले ने उस मध्यस्थता कर मामला शांत कराया था। इस मामले में कलेक्टर अनुराग वर्मा ने ठेकेदार को नोटिस जारी किया था जिसमें लिखा था कि गोलहटा की लाइसेंसी दुकान का टिकुरी में संचालन अवैध है और टेंडर तथा लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है। लिहाजा 3 दिन में दुकान टिकुरी से हटा कर गोलहटा ले जाई जाए। निर्देश का पालन न होने पर एकतरफा कार्रवाई की चेतावनी भी ठेकेदार को कलेक्टर ने दी थी। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि पहले देवरा क्रमांक 1 के जिस सरपंच संतोष हरिजन ने भी जनता के साथ मिलकर शराब दुकान का विरोध किया था, उसने भी अब ठेकेदार के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया है। उसने ठेकेदार से आर्थिक लाभ प्राप्त कर उल्टे ग्रामीणों को ही टिकुरी में शराब दुकान का विरोध करने पर फंसाने की धमकी देना शुरू कर दिया है। ऐसे में लोगों की निगाह अब एक बार फिर कलेक्टर पर जा टिकी हैं कि वे आखिर अपनी ही नोटिस पर अमल करा पाते हैं या नहीं?