ब्राह्मण महासभा ने भी खोला मोर्चा, पदाधिकारी बोले- हमें न बताएं संख्या बल
सतना भाजपा कार्यालय में पार्षद एवं पूर्व पार्षदों के बीच हुए विवाद को सामाजिक लड़ाई का जामा पहनाए जाने के बाद इस मुद्दे पर अब जातिवादी रंग गहराता जा रहा है। वैश्य समाज और रॉयल राजपूत संगठन के बाद अब ब्राह्मण महासभा ने भी मोर्चा खोलते हुए ऐलान किया है कि अगर समाज के लोगों को टारगेट कर दबाव बनाया गया तो हम भी सड़क पर उतर कर लड़ने को तैयार हैं। इससे पहले भाजपा कार्यालय में पार्षद पीके जैन और पूर्व पार्षद नीरज शुक्ला तथा प्रसेनजीत सिंह तोमर के बीच मंगलवार को हुए विवाद के मामले में वैश्य महासभा और रॉयल राजपूत संगठन ने तो मोर्चा खोला ही था, अब ब्राह्मण महासभा ने भी मैदान में कूद कर ताल ठोंक दी है। वैश्य महासभा जहां पीके जैन की पैरोकारी कर रहा है वहीं रॉयल राजपूत संगठन ने पूर्व पार्षद प्रसेनजीत सिंह तोमर के समर्थन में मोर्चा खोला है। जबकि अब अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा पूर्व पार्षद नीरज शुक्ला के पक्ष में मैदान में आ गया है। शनिवार की शाम अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा ने एक बैठक कर इस मुद्दे को वैश्य महासभा द्वारा सामाजिक लड़ाई बना कर जातीय रंग देने का विरोध किया। महासभा के प्रदेशाध्यक्ष राजेश दुबे ने कहा कि यह विवाद पार्टी के अंदर का था लिहाजा इसे पार्टी फोरम में ही निपटाया जाना चाहिए था। यह दुखद है कि वैश्य समाज ने इसे तूल देकर सामाजिक और जातीय विवाद बनाया। दुबे ने कहा कि हमारे समाज के पूर्व पार्षद नीरज शुक्ला को जातीय आधार पर टारगेट किया जा रहा है और दबाव बनाया जा रहा है। यह गलत है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि की कोई जाति कोई मजहब नहीं होता। हम सामाजिक सौहार्द के पक्षधर हैं। जिस तरह की बातें वैश्य समाज द्वारा पिछले दिनों में की गई हैं वो सामाजिक एकता और भाईचारे के लिए घातक हैं। प्रदेशाध्यक्ष दुबे ने कहा कि हमे संख्या बल न बताया जाए, हम भी जिले भर में 14 लाख हैं। अगर जरूरत पड़ी तो सड़क पर उतर कर ब्राह्मण महासभा भी हर लड़ाई लड़ेगी। लेकिन सामाजिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए इस मसले को मिल बैठ कर सुलझाना ही बेहतर है।