बहन की शिकायत और पिता की डांट से डरकर घर छोड़कर भाग बच्चा 13 साल बाद मिला
बचपन की शरारत पर पिता की डांट के डर से भागे एक मूक बधिर बच्चे को सतना पुलिस ने आखिर साढ़े 13 वर्ष बाद तलाश ही लिया। पुलिस ने उसकी घर वापसी कराई तो निराश हो चुके माता- पिता का चेहरा चमक उठा। बचपन मे लापता हुए बेटे के जवान रूप को देख कर उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। बेटा बोलने और सुनने में असमर्थ है फिर भी लंबे समय बाद मां-बाप को देख कर उसकी भी आंखें खुशी और दर्द को छिपा नहीं सकीं। दरअसल, सतना की सिविल लाइन थाना पुलिस ने एक ऐसे बच्चे की घर वापसी कराई है जो मूक बधिर था और सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में ही घर छोड़ कर भाग गया था। मुख्त्यारगंज निवासी रामचरित्र शुक्ला पिता स्व केशव प्रसाद शुक्ला का बेटा सत्यम शुक्ला 29 सितंबर 2010 को लापता हो गया था। वह अपनी बहन प्रगति शुक्ला के साथ सिविल लाइन स्थित स्कूल गया था। वहां उसे शरारत सूझी तो उसने प्रगति का स्कूल बैग छिपा दिया। हालांकि बाद में बैग मिल भी गया लेकिन सत्यम दोबारा ऐसी बदमाशी न करे इसलिए प्रगति ने उसे यह कहते हुए डराया कि घर चलकर वह इसकी शिकायत पापा से करेगी। शिकायत और पिता की डांट से डर कर सत्यम कहीं चला गया और फिर लौट कर घर नहीं आया। घर वालों ने उसे खूब तलाशा, पुलिस में गुमशुदगी भी दर्ज कराई लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल सका। माता-पिता इसलिए भी निराश थे क्योंकि सत्यम बोलने-सुनने में असमर्थ था। लेकिन ईश्वर से प्रार्थना करते थे कि उनका बेटा लौट आए। लगभग साढ़े 13 वर्ष का लंबा समय बीतने के बाद भगवान ने उनकी सुन ली और उन्हें सिविल लाइन थाना पुलिस से एक सूचना मिली जिसने उनकी निराश आंखों में आशा की किरण जगाई। पुलिस ने उन्हें थाने बुलाया और वीडियो कॉलिंग के जरिए एक युवक से बात कराई। वह युवक कोई और नहीं बल्कि राम चरित्र का 13 वर्ष पूर्व लापता हुआ बेटा सत्यम ही था। वक्त के साथ उसके चेहरे और कद काठी में बदलाव हो गया था, वह जवान हो चुका था और उसकी उम्र भी 26 साल के आसपास हो गई थी। वीडियो कॉलिंग में उस जवान को देखते ही रामचरित्र ने उसे पहचान लिया उधर बेटे ने भी वर्षों बाद पिता को देखा तो उसकी आंखों ने वह सब कह दिया जो उसकी जुबान कहना चाहती थी। तस्दीक के बाद सिविल लाइन पुलिस की एक टीम सिकंदराबाद पहुंची और सत्यम को सतना ले आई। उसे उसके परिवार को सौंप दिया। इस बारे में सिविल लाइन थाना प्रभारी रूपेंद्र राजपूत ने बताया कि सत्यम तेलंगाना के सिकंदराबाद में थारा नाम की संस्था के पास था। यह संस्था गुमशुदा और लावारिस मिले बच्चों को आश्रय देती है। बच्चों को 18 वर्ष का होने पर रोजगार भी उपलब्ध कराया जाता है। वहां रहने वाले बच्चों का डेटा DCRB के जरिए अपडेट किया जाता है जो पूरे देश भर में देखा जा सकता है। बच्चों के हाथ में उनका और उनके पिता का नाम तथा स्थान भी लिखा होता है। सत्यम के हाथ मे भी उसके पिता का नाम और सतना लिखा हुआ था। इसकी जानकारी जब DCRB के जरिए मिली तो यहां गुम इंसान के प्रकरण खंगाले गए। जिसमें रामचरित्र शुक्ला द्वारा दर्ज कराई गई गुमशुदगी का ब्यौरा मिला। वीडियो कॉलिंग के जरिये तस्दीक कराई गई और फिर टीम भेज कर सत्यम को सिकंदराबाद से सतना ले आया गया। थाना प्रभारी राजपूत ने बताया कि थारा एजेंसी के मार्फ़त पढ़ाई लिखाई के बाद सत्यम को वहां जॉब भी मिल गया था। उसे सिकंदराबाद से सतना वापस लाने वाली टीम में सब इंस्पेक्टर सुभाष चन्द्र वर्मा,प्रधान आरक्षक प्रवीण तिवारी,विवेक द्विवेदी एवं आरक्षक प्रशांत परौहा शामिल रहे।