लक्ष्मणबाग संस्थान के महंत होगे राघवाचार्य जी महराज: पुष्पराज सिंह
रीवा । लक्ष्मणबाग संस्थान रीवा में स्वामी हरिवंशाचार्य जी महराज के परमपद होने के बाद पूर्व मंत्री महाराजा पुष्पराज सिंह जू देव की अध्यक्षता में लक्ष्मणबाग संस्थान में बैठक आहुत की गई। बैठक में पूर्व मंत्री विधायक रीवा राजेन्द्र शुक्ल एवं जिला पंचायत अध्यक्ष नीता कोल सहित काफी संख्या में संत समाज एवं प्रवुद्धजन उपस्थित रहे। महाराजा पुष्पराज सिंह द्वारा प्रस्ताव रखा गया कि वर्तमान समय में पूर्व महंत का परमपद हो जाने से महंत का पद रिक्त है जिसमें संस्थान की गरिमा व परम्परा अनुसार रामानुज सम्प्रदाय के विरक्त संत स्वामी जगतगुरु राघवाचार्य महराज अयोध्या को लक्ष्मणबाग संस्थान रीवा में महंत पद पर नियुक्त किया जाना उचित होगा जिससे संस्थान की गरिमा पुर्नस्थापित हो सके जिसका उपस्थित सदस्यों ने सर्वसम्मति से समर्थन व्यक्त किया। रीवा लक्ष्मणबाग संस्थान रामानुज सम्प्रदाय की अत्यन्त प्राचीन पीठ है जिस पीठ पर अनेकानेक धर्माचार्य हुए जो रीवा एवं विंध्य के साथ उत्तर भारत मे धर्म का प्रचार प्रसार एवं संरक्षण किया जिस कारण से लक्ष्मणबाग संस्थान उत्तर भारत का एक मात्र रामानुज सम्प्रदाय का प्राचीन संस्थान है। लक्ष्मणबाग पीठ रीवा शाहीराज परिवार की गुरु गद्दी पीठ रही है। रीवा राजपरिवार के महाराजाओं द्वारा संस्थान के धर्म गुरुओं के आर्शीवाद प्राप्त कर रीवा राज का संचालन करते थे। उल्लेखनीय है कि स्वामी राघवाचार्य महाराज पूरे भारत वर्ष में करीब एक हजार से अधिक कथा भागवत एवं प्रवचन कर चुके हैं तथा अत्यन्त ही विद्ववान विरक्त संत है जिनके महंत वनने से लक्ष्मणबाग संस्थान का पुराना वैभव वापस होगा। बैठक में परमपद प्राप्त महंत स्वामी हरिवंशाचार्य के बैकुन्ठ उत्सव मनाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है जो 4 एवं 5 जुलाई को लक्ष्मणबाग संस्थान मे होगा जिसमें तमाम भारत वर्ष एवं विंध्य के संतो का समागम होगा। बैठक में पं.बाला व्यंकटेश शास्त्री, डा.प्रभाकर चतुर्वेदी, राजेश पाण्डेय, पं.रामायण प्रसाद तिवारी, आचार्य बलराम पाण्डेय, चिरहुलानाथ के पुजारी गोकरणाचार्य, पं.दीनानाथ शास्त्री ‘दमोदराचार्य’, अरुणाचार्य, षट्कोपाचार्य , पूर्व एस.डी.एम.एवं कार्यपालन अधिकारी योगेन्द्र द्विवेदी, विनोदाचार्य , महामृत्युन्जय के प्रधान पुजारी वंशपती प्रसाद त्रिपाठी के अलावा रीवा शहर के सभी मंदिरों के पुजारपीगण, संत एवं प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।