भोपाल। राजधानी भोपाल में इन दिनों श्रद्धा और भक्ति के पावन पर्व नवरात्र की तैयारी जोरों पर है। इसके लिए पंडालों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। 3 अक्टूबर से घट स्थापना के साथ नौ दिवसीय नवरात्र पर्व की शुरुआत होगी। पंडालों की सजावट में लगे कारिगर दिन-रात मेहनत कर अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। वहीं कारिगरों द्वारा शहर की पांच बड़ी झांकियों एवं देश के प्रसिद्ध मंदिरों पर आधारित मंदिर बनाने को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।  भोपाल शहर में लगभग 1800 स्थानों पर माता का दरबार सजेगा।  शहर के न्यू मार्केट, बिट्टन मार्केट, बरखेड़ा, नेहरू नगर, ज्योति टॉकीज की झांकियां शहर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहेंगी। बिट्टन मार्केट में श्रीराम की झांकी, विजय मार्केट भेल में बाबा अमरनाथ की गुफा, न्यू मार्केट में हिंगलाज माता का मंदिर बनने जा रहा है। पूरे बारीकी के साथ प्रतिमाओं और झांकियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी और भक्तों के भंडार भरेंगी, कष्ट दूर करेंगी। मां दुर्गा के हाथी पर आने से पृथ्वी पर खुशहाली और संपन्नता आएगी। हाथी की सवारी अधिक वर्षा का संकेत है, जो सुख-समृद्धिदायक है। माता का प्रस्थान वाहन मुर्गा है। 

इस बार बन रहे कई शुभ योग

पंडितजी के मुताबिक इस बार नवरात्र पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस साल शारदीय नवरात्र तीन अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक है। इसके अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को दशहरा है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतपदा तिथि पर हस्त और चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी। नवरात्र के पहले दिन चित्रा, हस्त नक्षत्र रहेगा, जिसमें की गई माता रानी की स्थापना पूजन से सारी मनोकामना पूर्ण होंगी।  नवरात्र से त्योहारी खरीद की शुरुआत हो जाती है। इसी बात को ध्यान रखने के लिए व्यापारीयों द्वारा नए सिरे से बाजारों को सजाया जा रहा है। खासकर वहां का बाजार ज्यादा चमकेगा जाहां माताजी का दरबार एवं झांकी लगाई गई है। दस नंबर मार्केट, न्यू मार्केट और पुराने भोपाल सहित प्रमुख बाजारों में कपड़े, बर्तन और गहनों से सजने लगे हैं। इस साल गणेशोत्सव के बाद अब माता की मूर्ति का ज्यादातर निर्माण मिट्टी से किया जा रहा है। इस साल बुकिंग कराने वालोंं ने ज्यादा से ज्यादा मिट्Þटी की माता की मूर्तियों की बुकिंग कराई है। इस तरह मिट्टी की प्रतिमाओं की मांग अधिक है।