शहर की 10 फीसदी आबादी शौच के लिए आज भी परेशान कबाड़ हो चुके मॉड्यूलर टॉयलेट का इस्तेमाल करना मजबूरी
भोपाल। कई सालों से केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के तहत प्रत्येक घर में टॉयलट का प्रधानमंत्री का सपना आज तक पूरा नहीं हो पाया है। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार जमीनी हकीकत यह है कि जगह की कमी के चलते 50 हजार से अधिक शौचालय अब तक नहीं बन सके हैं, जिसके चलते आज भी करीब 10 फीसदी आबादी शौच के लिए परेशान होती है। हालांकि अब खुले शौच करने कोई नहीं जाता, लेकिन झुग्गी बस्ती में पक्के शौचालय नहीं होने से कई लोग कबाड़ हो चुके माड्यूलर टायलेट या सुलभ शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। गौरतलब है कि सरकार ने कमजोर वर्ग के लोगों के घरों में पांच लाख पक्के शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक 4.5 लाख पक्के टॉयलेट बन सके हैं। अन्ना नगर, बाबा नगर जैसी झुग्गियों के आसपास आज भी मॉड्यूलर टॉयलेट रखे गए हैं। जिनका इस्तेमाल झुग्गीवासी करते हैं। इसके अलावा शहर में कई झुग्गियां ऐसी हैं, जहां शौचालय नहीं बन पाए हैं। हकीकत यह है कि माड्यूलर टॉयलेट सात-आठ साल पहले रखे गए थे, जिसके चलते अब यह कबाड़ हो चुके हैं। किसी में कुंडी नहीं तो किसी में पानी नहीं रहता। रखरखाव न होने के चलते इनकी हालत जर्जर हो चुकी है।
लेबर वर्ग के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं
होशंगाबाद रोड, कोलार, करोंद, नीलबड़-रातीबड़ जैसे क्षेत्रों में मजदूरों के पास शौचालय की व्यवस्था नहीं है। जिससे वे खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं। शहर की सीमा से लगे जो क्षेत्र विकसित हो रहे हैं, उधर बड़ी संख्या में लेबर रहती है। नगर निगम को इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए। वास्तव में शहर के अंदर तो कोई भी खुले में शौच के लिए नहीं जा रहा है, लेकिन शहर की सीमावर्ती क्षेत्रों में आज भी खुले में इक्का-दुक्का लोग शौच के लिए जा रहे हैं।
100 फीसदी नहीं बन पाए पक्के शौचालय
भोपाल में अब तक 100 फीसदी पक्के शौचालय नहीं बने हैं। जबकि निगर निगम प्रशासन को ओडीएफ, ओडीएफ प्लस व ओडीएफ डबल प्लस की जांच में खरे उतरने पर 1250 अंक मिलते हैं। यहां व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत है। वास्तव में कागजी सच्चाई कुछ और है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और कहती है। हालांकि की नगर निगम प्रशासन जल्द ही झुग्गीवासीयों को कबाड़ हो चुके माड्यूलर टॉयलेट से मुक्ति दिलाने की बात कह रहा है। महापौर मालती राय ने कहा कि पुराने कबाड़ हो चुके माड्यूलर टॉयलेट की जगह नए सुलभ काम्प्लेक्स बनाए जाएंगे और इनकी साफ-सफाई तथा रखरखाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
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