प्रशासन के 'अर्जुन' को मिला 'मोहन
balendra pandey
प्रदेश के नए प्रशासनिक मुखिया अनुराग जैन ने मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण कर लिया। इस तरह 12 वर्षों बाद प्रदेश का मूल निवासी प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया का पदभार संभालेगा। अनुराग जैन प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईएएस है। उनका ज्ञान और कौशल का साथ प्रदेश के मुखिया मोहन यादव के लिए अत्यंत आवश्यक था। एक तरह से कहॆ तो प्रशासन के अर्जुन को मोहन का साथ मिला है। अब निश्चित रूप से मोहन के सहारे प्रशासनिक ज्ञान के अर्जुन अनुराग जैन प्रदेश में पीड़ितों को न्याय दिलाने और सरकारी योजनाओं का लाभ बगैर भ्रष्टाचार के हितग्राही तक पहुंचने में अहम योगदान देंगे। वास्तव में प्रदेश के मुखिया मोहन जानते हैं कि भोपाल और प्रदेश में ऐसे अनेक दुर्योधन और दुशासन है जो मामा शकुनि की सलाह से धन बल और राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाकर न्याय की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। उन्हें सबक सिखाने के लिए और प्रदेश में उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने के लिए अनुराग जैन जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता हमेशा से थी। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन किया जोड़ी वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सारे पर ही बनाई गई है। यह जोड़ी निसंदेह रूप से प्रदेशवासियों की उम्मीद पर खराब उतारते हुए मध्य प्रदेश को विकसित राज्य बनाने में अहम योगदान देगी। अनुराग जैन को मध्य प्रदेश का बारीकी अनुभव है। प्रधानमंत्री मोदी की पसंद अनुराग जैन के केंद्र में भी बेहतर संबंध रहे है। जिसके चलते केंद्र की योजनाओं का शीघ्र लाभ प्रदेश की जनता को मिलने की उम्मीद है। मुख्य सचिव के रूप में अनुराग जैन की नियुक्ति के बाद 9 माह से जारी अटकलें पर विराम लगा। क्योंकि प्रदेश की महिला मुख्य सचिव वीरा राणा का कार्यकाल 6 माह पहले ही समाप्त हो चुका था जिससे उनके कार्यकाल के तीन माह से पहले ही वल्लभ भवन से लेकर विभिन्न अखबारों और टीवी चैनलों में नए की की चर्चा आना शुरू हो चुकी थी। लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते वीर राणा को 6 माह एक्सटेंशन मिलते ही खबरों पर विराम लगा था। इसके बाद राणा का एक्सटेंशन समाप्त हो होने से पहले एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरू हुआ इसमें डॉक्टर राजेश राजौरा, एसएन मिश्रा और अनुराग जैन के नाम मीडिया में खूब चले। आखिरकार राज्य और केंद्र सरकार ने बेहतर तालमेल दिखाते हुए बिना किसी अधिकारी को सुपर सीड किए अनुराग जैन को प्रदेश का नए प्रशासनिक मुखिया घोषित किया। अनुराग जैन के मुख्य सचिव बनने पर वरिष्ठ के आधार पर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी दरकिनार नहीं हुआ है। सरकार ने अनुराग जैन को प्रशासनिक मुखिया का दायित्व सौंपते हुए यह भी ध्यान रखा है कि किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का मान सम्मान को आच ना पहुंचे। 1989 बैच के अन्य वरिष्ठ अधिकारी एक्स मोहम्मद सुलेमान, जैन कंसोटिया और विनोद कुमार से अनुराग जैन सीनियर हैं। अनुराग जैन 11 महीने तक मध्य प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया के तौर पर कार्य करते रहेंगे। 12 वर्षों बाद अनुराग जैन के रूप में मध्य प्रदेश के स्थानीय निवासी को की पद का दायित्व सोपा गया है। अनुराग जैन को प्रधानमंत्री का विश्वास पात्र माना जाता है। दिल्ली में रहते हुए सचिवालय में भी अन्य अधिकारियों से उनके बेहतर संबंध रहे हैं। अपनी सकारात्मक सोच और जान ही तैसी कार्यों में बढ़कर योगदान देने की उनकी छवि विकसित मध्य प्रदेश के निर्माण में निश्चित रूप से सहायक सिद्ध होगी। मध्य प्रदेश में लोक सेवा गारंटी कानून की बात की जाए या देशभर में चलाई जा रही जनधन योजना की उनकी सफलता का श्रेय अनुराग जैन को ही दिया जाता है। आज देश विदेश में भी अपनी बेहतरीन सड़कों के लिए जाना जाता है। जब यह बात लोगों के जेहन में आती है तो इसका श्रेय सड़क परिवहन सचिव अनुराग जैन को भी दिया जाता है। वास्तव में अंदाज ज्ञान है कैसे लोक सेवक हैं जो पूरी तरह से कर्म योगी हैं और उनके आभामंडल में कर्तव्य निष्ठा की झलक दिखाई देती है। हुए नियमों का पालन करवाने के लिए जितने शख्स हैं उनकी बड़ी में भी उतना ही अनुराग है। कहते हैं हर व्यक्ति का एक इतिहास होता है जिसे देखकर व्यक्त के आचरण और व्यवहार के विषय में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है अनुराग जैन ने प्रशासनिक अधिकारी रहते हुए भी एक सुनहरा इतिहास गधा है। जो उनकी सख्त प्रशासनिक कार्य शैली और विधायक सभी को दर्शाता है। 1989 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग जैन को प्रदेश में कार्य करने का बृहद अनुभव है। बता दे कि अनुराग जन सेवक के रूप में अपने करियर की शुरुआत सागर जिले में सहायक कलेक्टर के रूप में 6 जून 1990 को की थी। इसके बाद एसडीओ, अतिरिक्त कलेक्टर, परियोजना अधिकारी के रूप में जुलाई 1997 तक कार्य किया। 14 जुलाई 1997 को अनुराग जैन पहली बार मंडला कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दी। भोपाल वीडियो के लिए खुशी की बात है कि प्रदेश के की यहां 16 जुलाई 2001 से जनवरी 2004 तक कलेक्टर के रूप में कार्य किया है। इस दौरान उन्होंने बगैर किसी दबाव के कार्य करते हुए पीड़ितों को न्याय दिलाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी थी। प्रदेश के नए प्रशासनिक मुखिया का जन्म 11 अगस्त 1965 को ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने बीटेक ऑनर्स इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। साथ ही मैक्सवेल स्कूल उस से लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री हासिल की है।