बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में बुधवार को कानफोड़ू डीजे पर रोक लगाने को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने राज्य शासन ने समुचित प्रबंधन को लेकर जानकारी मांगी। इस पर महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने बताया कि हाल ही में अफसरों की महत्वपूर्ण बैठक रखी गई थी। जिले के एसपी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। महाधिवक्ता ने विस्तार से जानकारी पेश करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। डिवीजन बेंच ने शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश देते हुए मोहलत दे दी है। हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है। ध्वनि प्रदूषण पर प्रभावी रोक लगाने खासकर डीजे की आवाज को नियंत्रित करने को लेकर कोर्ट ने जरुरी हिदायत के साथ सुनवाई प्रारंभ की है। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य शासन से कहा है कि, पूरे प्रदेश में आगे क्या कार्रर्वाई होगी इसे निश्चित करें। बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष पुलिस महानिदेशक ने डीजे और कोलाहल नियंत्रण के संबंध में अपना शपथ पत्र पेश किया है। इससे पूर्व नागरिक संघर्ष समिति रायपुर और कई अन्य नागरिकों ने आम त्योहारों और शादी समारोहों में तेज आवाज के साथ बजाए जाने वाले डीजे को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका पेश की थी। डीजे की कानफोडू शोर के कारण एक छोटे बच्चे की मौत होने की खबर को भी हाई कोर्ट ने संज्ञान में लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि, आदेश पालन नहीं हो रहा है। नाराज कोर्ट ने राज्य शासन को नियमों व आदेशों का शब्दश: पालन कराने की बात कही थी।
कोर्ट ने उठाए थे सवाल
डीजे द्वारा देर रात तक किये जा रहे ध्वनि प्रदूषण पर कोर्ट ने पूछा था कि, आम आदमी करेगा क्या। ऐसा लगता है लॉ एंड ऑर्डर रह ही नहीं गया है। कोर्ट ने कहा कि डीजे बजाने पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसके नियमों का पालन नहीं हो रहा है और अभी भी डीजे बजाने की घटनाएं हो रही हैं। प्रशासन ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन नहीं करा रहा है। कोर्ट ने सभी जिला कलेक्टरो को आदेशित किया था कि ध्वनि प्रदूषण पर कोर्ट के आदेशों और नियमों का पालन करें। कोर्ट ने यह भी सख्ती दिखाई थी और कहा था कि आदेश का पालन नहीं करेंगे तो हम मानेगें कि, जिला कलेक्टर ही इसका पालन नहीं करना चाहते। आदेश की प्रति सभी जिला कलेक्टर को भेजने के आदेश भी कोर्ट ने दिया था।