मध्य प्रदेश जलवायु परिवर्तन को रोकने दे रहा अहम योगदान
बालेन्द्र पाण्डेय
जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जो पूरे साल दुनिया को परेशान करता है। वर्तमान समय में दुनिया जिस दौर से गुजर रही है, उसमें हमारी भारतीय जीवन पद्धति, हमारी मान्यताओं और परमात्मा एवं प्रकृति से जुड़ने के हमारे मूल दृष्टिकोण का अपना महत्व सामने आता है। वर्ष 2015 में भारत सहित दुनिया के 200 से अधिक देशों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और दुनिया के तापमान को 1.5 डिग्री से अधिक ना बढ़ने देने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी। ऐसी मानवीय गतिविधियां या क्रिया-कलाप जिनके कारण कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी गैसों की मात्रा बढ़ती है और सूर्य का ताप पृथ्वी के बाहर नहीं जा पाता है जिससे धरती का तापमान इतना अधिक बढ़ जाता है कि लंबे समय में किसी स्थान का औसत मौसम या कहें औसत परिस्थितियों में बदलाव आने लगता है। जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को वर्तमान में भी महसूस किया जा सकता है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा, परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है। मध्य प्रदेश जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अहम योगदान दे रहा है। यहां मोहन सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन को रोकने जमीनी स्तर पर प्रदेशवासियों के व्यवहार में बदलाव लाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि स्वच्छ और पर्यावरण हितैषी योजनाओं को बढ़ावा मिल सके। प्रदेश सरकार द्वारा अक्षय ऊर्जा के स्रोतों, कम उत्सर्जन वाले उत्पादों और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के साथ ही वनीकरण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं और केन्द्र सरकार की योजनाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरा सहयोग दिया जा रहा है। 11 नवंबर से 24 नवम्बर अजरबैजान के बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन होने जा रहा है। मध्य प्रदेश में आर्थिक विकास और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को एक साथ तालमेल बिठाकर कार्य किया जा रहा है। डा. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख लीडर्स को एक मंच पर ला रही है। पर्यावरण स्वच्छ और सुदंर बनाने के लिए प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव स्वयं आगे आ रहे हैं। बात चाहे अक्षय ऊर्जा स्रोतों की हो या इलेक्ट्रिक वाहनों की या फिर प्लास्टिक मुक्त प्रदेश बनाने की। मुख्यमंत्री न केवल पौधरोपण कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण हितैषी कार्य के लिए लोगों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मध्य प्रदेश, पर्यावरण के लिए बेहतर काम करने में सक्षम हुआ हैं। राज्य के वन क्षेत्र के साथ ही शेरों, बाघों, तेंदुओं, हाथियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास सफल हो रहे हैं। गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से स्थापित विद्युत क्षमता एक बड़ी उपलब्धि है सरकार का नवीकरणीय ऊर्जा पर बहुत ज्यादा ध्यान रहा है। आगे का रास्ता नवाचार और खुलेपन का है। जब तकनीक और परंपरा का मेल होगा तो वह जीवन के दृष्टिकोण को और आगे लेकर जाएगा। जलवाय परिवर्तन की चुनौती से निपटना इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि एक ओर जहां स्विट्जरलैण्ड के वैज्ञानिक वायुमंडल में हीरे की डस्ट छिड़कने जैसे प्रयोग करने की बात कर रहे हैं, वहीं भारत जैसे देशों के पास इतनी बड़ी लागत समाधान को तत्काल भविष्य में पै्रक्टिकल नहीं बनाती। अत: हमें प्रगति और प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के प्रयास भूमि पर रहकर ही करना होंगे। पर्यावरण आज सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। वसुधा को बचाने का कर्तव्य हम सभी को निभाना है। भारत की पहचान दुनिया में प्रकृति और पर्यावरण को बचाने के लिए भी सकारात्मक बनी है। प्रकृति और प्रगति में समन्वय आवश्यक है। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सारे विश्व में अपने सक्षम नेतृत्व से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हैं। पर्यावरण के प्रति उनकी चिंता इस बात से सिद्ध होती है कि वे वर्ष 2030 तक भारत द्वारा 500 गीगावाट नवकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं। निश्चित ही हम कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी लाने में सफल होंगे। पर्यावरण की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण संकल्प है। इसकी पूर्ति के लिए राष्ट्रवासी भी सहयोग कर रहे हैं। मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के अनुसार सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि के लिए प्रदेश अधिक से अधिक योगदान देगा। बता दें कि मध्य प्रदेश में होने वाले जलवायु संरक्षण के कार्यों का वैश्विक महत्व होगा। मध्य प्रदेश ने गत दो दशक से प्रगति के अनेक आयाम छुए हैं। पर्यावरण के प्रति मध्य प्रदेश सरकार गंभीर है। मध्य प्रदेश नदियों का मायका है। सभी नदियों की स्वच्छता और हमारे ईको सिस्टम का संतुलन बनाए रखने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी और उसके तटों की पर्यावरणीय संरक्षण के लिए आवश्यक निर्णय लिए हैं। हमारी सोन नदी, पुण्य सलिला गंगा को बलिष्ठ बनाती है। गंगा बेसिन के लिए यमुना के माध्यम से चंबल और क्षिप्रा भी यही भूमिका निभाती हैं। बेतवा भी यमुना में जाकर मिलती है। भोपाल के पास रातापानी टाइगर अभ्यारण्य है। भोपाल के पास सड़कों पर दिन में मनुष्य और रात्रि में टाइगर दिखाई देते हैं। प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा उद्योग-आॅटोमोटिव में, कम उत्सर्जन वाले उत्पादों जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों और सुपर-कुशल उपकरणों का निर्माण व हरित हाइड्रोजन जैसी नवीन तकनीकों आदि जैसी ग्रीन जॉब्स में समग्र वृद्धि करने के लिए सरकार ने अनुकूलन और शमन दोनों कार्यों को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं व कार्यक्रम शुरू किए हैं। जल, कृषि, वन, ऊर्जा और उद्यम, निरंतर गतिशीलता और आवास, कचरा प्रबंधन, चक्रीय अर्थव्यवस्था और संसाधन दक्षता आदि सहित कई क्षेत्रों में इन योजनाओं व कार्यक्रमों के अन्तर्गत उचित उपाय किए जा रहे हैं। कार्बन उत्सर्जन कम करने में मध्यप्रदेश की भूमिका और नेतृत्व बहुत ही महत्वपूर्ण है जिससे हम अपने जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं। इसके लिए पर्यावरण के अनुरूप स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा दिया जा रहा है। संसाधनों का कुशलता से उपयोग और उसका पुन: उपयोग करने के लिए मजबूती से काम किया जा रहा है। सार्वजनिक प्रयास निजी प्रयास को प्रोत्साहित करें इसके लिए समाज को जागरूक किया जा रहा है। साइकिल चलाने और पैदल चलने जैसी स्थायी जीवन शैली के लाभ गिनाए जा रहे हैं। मध्यप् ा्रदेश जैसे राज्य जलवायु प्रयास के लिए ऊर्जा के रूप में कार्य कर रहे हैं। इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा लचीलापन बुनियादी संरचना के लिए गठबंधन और एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड के माध्यम से इसके कार्यों को शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य दुनिया में सौर ऊर्जा को आपस में जोड़ना है। मध्य प्रदेश विकासशील राज्य है, जहां ऊर्जा जरूरतें बढ़ हैं, इसे सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा से पूरा करना एक बड़ी चुनौती है। वाणिज्यिक व निजी प्रयोग हेतु वनों की कटाई थम नहीं पा रही है। बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण लोगों के जीवन जीने के तौर-तरीकों में काफी परिवर्तन आया है। प्रदेश की सड़कों पर वाहनों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। फलस्वरूप अपने देश-प्रदेश में पिछले कुछ दशकों में बाढ़, सूखा और बारिश आदि की अनियमितता काफी बढ़ गई है। वनस्पति पैटर्न में बदलाव से कुछ पक्षी प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं। रिड्यूस, रियुज और रीसायकल, जीवन की अवधारणाएं हैं। इस पर मध्यप्रदेश में गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। वास्तव में स्वस्थ पर्यावरण के लिए हमेंं ऐसी जीवनशैली अपनाना है जो हमारे धरती के अनुरूप हो और इसे नुकसान न पहुंचाए। मध्य प्रदेश अब इसी दिश ा में अग्रसर है। प्रदेश में वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर छूट दे रही है। सरकार का यह प्रयास बताता है कि वह दुनिया बचाने के लिए बेहतर पर्यावरण में अपना योगदान देने में पीछे नहीं है। केन्द्र सरकार की बात करें तो जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए सरकार राष्ट्रीय सौर मिशन, विकसित ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन, सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशन, राष्ट्रीय जल मिशन, सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन, हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन, सुस्थिर कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन, जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन पर कार्य कर रही है, जिसके निकट भविष्य में बेहतर परिणाम सामने आएंगे। सरकार के साथ प्रदेशवासी भी धीरे-धीरे पर्यावरण को लेकर अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं और ऐसे प्रयास कर रहे हैं कि प्रदूषण बढ़ाने में उनका कम से कम योगदान हो।