रीवा । ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय (टीआरएस) इन दिनों अपने बेतरतीब शासन व्यवस्था और प्राचार्य की तानाशाही की वजह से सुर्खियों में है। आलम यह है की नए प्रवेश लेने वाले बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया तो बेतरतीब है ही इसके अतिरिक्त कॉलेज प्रशासन अपने ही कर्मचारियों को दर - दर की ठोकर खाने पर मजबूर कर रखा है। बता दें कि कोरोना काल के दौरान महाविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे अवध प्रताप शुक्ला का निधन हो गया जिसके बाद उनकी पत्नी को मासिक पेंशन और बड़े बेटे को अनुकंपा नियुक्ति नियमानुसार नौकरी दी गई। सम्पूर्ण प्रक्रिया के पश्चात प्रोफ़ेसर स्वर्गीय अवध प्रताप शुक्ला की पत्नी लक्ष्मी शुक्ला को मासिक पेंशन मिलनी स्वीकृत होने के 5 से 6  माह तक पेंशन आना चालु थी लेकिन अचानक से पेंशन आना बंद हो गई। जिसकी सूचना लक्ष्मी शुक्ला जी द्वारा टीआरएस कॉलेज की प्राचार्य को दी गई जिस पर कॉलेज प्राचार्या द्वारा यह कह कर उन्हे आश्वस्त कर दिया गया कि ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने वाली है जिसके कारण दो से तीन महीने पेंशन बंद रहेगी और तीन माह की पेंशन एक साथ आ जाएगी किंतु 3 माह बीत जाने के बाद भी पेंशन नहीं आई।  लंबे इंतजार के बाद श्रीमती लक्ष्मी शुक्ला द्वारा कई बार कॉलेज जाकर पेंशन से संबंधित समस्या के बारे में जानकारी मांगी गई किंतु उन्हे संतोषजनक जवाब नहीं मिला जिससे हताश लक्ष्मी शुक्ला माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जा पहुंची। दिनांक 02/04/2024 को माननीय न्यायालय के समक्ष सुनवाई हुई जिसपर माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश जारी किया कि आवेदिका को आंतरिक पेंशन एवं 90% उपदान का भुगतान 30 दिवस के अंदर किया जाए किन्तु माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनारे करते हुए ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय (टीआरएस) कॉलेज की प्राचार्य श्रीमती अर्पिता अवस्थी द्वारा आज तक पेंशन नहीं चालू की गई। कॉलेज श्रीमती अर्पिता अवस्थी के तानाशाही रवैया से मृतक  अवध प्रसाद शुक्ला का पूरा परिवार परेशान है। और न्याय के लिए दर - दर भटक रहा है।